शुरुआत – एक साधारण सोच से असाधारण सफर तक
क्या कभी आपने सोचा है कि बचपन में देखा गया एक मामूली सा दृश्य आपकी पूरी जिंदगी की दिशा बदल सकता है? महाराष्ट्र के ठाणे शहर के दो दोस्तों, हेनिक गाला (Henik Gala) और श्रेयस जलपुर (Shreyas Jalapur), की कहानी कुछ ऐसी ही है। बचपन में स्कूल के पास एक कबाड़ीवाले को कचरा छांटते और तौलते देखना, उनके लिए सिर्फ एक दृश्य नहीं, बल्कि एक सीख थी – असली समस्या का असली हल। यही विचार उनके दिल-दिमाग में घर कर गया।
कबाड़ से स्टार्टअप तक – ‘स्क्रैपजी’ की नींव
समय बीता, दोनों बड़े हुए, और 2023 में जब वे 26 साल के हुए, तो उन्होंने अपने सपनों को हकीकत में बदलने का फैसला किया। उन्होंने ‘स्क्रैपजी’ (ScrapJi) नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया, जिसका मकसद था – तकनीक की मदद से कचरा इकट्ठा करना और उसे रीसायकल करना।
आज, स्क्रैपजी(ScrapJi) हर महीने 10,000 किलो से ज्यादा कचरा रीसायकल करता है और सालाना 25 लाख रुपये से ज्यादा का टर्नओवर हासिल कर चुका है। यह सिर्फ एक बिजनेस नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए एक नई उम्मीद है।
काम करने का अनूठा तरीका – टेक्नोलॉजी और भरोसे का मेल
स्क्रैपजी का मॉडल बाकी कबाड़ीवालों से बिल्कुल अलग है। यहां तकनीक और ईमानदारी का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
- ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार वेबसाइट या WhatsApp के जरिए कचरा उठाने का समय तय कर सकते हैं।
- स्क्रैपजी के कर्मचारी घर आकर कचरा तौलते हैं और तुरंत कैश या ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं।
- इसके बाद कचरा सीधे रीसाइक्लिंग सेंटर भेजा जाता है, जिससे सब कुछ पारदर्शी और व्यवस्थित रहता है।
यह प्रक्रिया न सिर्फ ग्राहकों के लिए आसान है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी वरदान साबित हो रही है। प्लास्टिक, मेटल, ई-कचरा या अखबार – सबका सही तरीके से पुनर्चक्रण (recycling) होता है।
चुनौतियां – संघर्ष की असली कहानी
हर सफलता की कहानी में कुछ मुश्किलें जरूर होती हैं। हेनिक और श्रेयस को भी शुरुआत में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
- लोगों को समझाना कि कबाड़ भी सम्मानजनक और फायदेमंद बिजनेस हो सकता है, आसान नहीं था।
- पुराने कबाड़ीवालों की परंपरागत सोच और बाजार में जगह बनाना भी एक बड़ी चुनौती थी।
- टेक्नोलॉजी को इस क्षेत्र में लागू करना और ग्राहकों का भरोसा जीतना – यह सब आसान नहीं था।
लेकिन दोनों दोस्तों ने हार नहीं मानी। उनकी मेहनत, लगन और ईमानदारी ने ही स्क्रैपजी को आज इस मुकाम तक पहुंचाया।
सफलता के राज – क्यों है स्क्रैपजी खास?
- टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: स्क्रैपजी ने कबाड़ के बिजनेस को डिजिटल बना दिया। वेबसाइट, WhatsApp, ऑनलाइन पेमेंट – सब कुछ आधुनिक तरीके से।
- ग्राहक-संतुष्टि: पारदर्शिता और समय पर सेवा ने ग्राहकों का भरोसा जीता।
- पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी: हर महीने 10,000 किलो से ज्यादा कचरे का सही रीसाइक्लिंग, जिससे पर्यावरण को फायदा।
- रोजगार के अवसर: स्क्रैपजी(ScrapJi) ने कई युवाओं को रोजगार भी दिया है, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आया है।
सीख – सपनों को हकीकत में बदलने की प्रेरणा
हेनिक गाला और श्रेयस जलपुर की कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अगर सोच नई हो, मेहनत सच्ची हो और इरादे मजबूत हों, तो कबाड़ से भी करोड़ों का कारोबार खड़ा किया जा सकता है।
आज स्क्रैपजी सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं, बल्कि हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है।
‘कबाड़’ शब्द सुनते ही अक्सर हमारे मन में गंदगी, बेकार चीज़ें और बदबूदार गलियां आती हैं। लेकिन हेनिक और श्रेयस ने दिखा दिया कि इसी कबाड़ में छुपा है एक सुनहरा भविष्य – बस नजरिया बदलने की जरूरत है।
अगर आप भी बिजनेस शुरू करने का सपना देख रहे हैं, तो स्क्रैपजी की कहानी आपके लिए एक शानदार मिसाल है –
“मुश्किलें आएंगी, लेकिन अगर हौसला हो तो कबाड़ भी करोड़ों में बदल सकता है!”
यह कहानी न केवल बिजनेस की दुनिया में बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी एक नई सोच और प्रेरणा है।